

मुंबई में लगातार हो रही बारिश ने शहर में पानी की कहानी बदल दी है। बीएमसी के मुताबिक, मुंबई की सभी सात झीलें अब 96.16% क्षमता तक भर चुकी हैं, जबकि पिछले साल इसी समय ये 95.36% भरी थीं। 26 अगस्त 2025 सुबह 6 बजे तक इन झीलों में 13,91,854 मिलियन लीटर पानी मौजूद है, जो मुंबई की सालाना जरूरत 14,47,363 मिलियन लीटर के लगभग बराबर है।
362 दिन का सुरक्षित पानी
मुंबई की रोज़ाना सप्लाई 3,850 मिलियन लीटर है (मांग 4,200 मिलियन लीटर)। मौजूदा पानी भंडारण से शहर के पास लगभग 362 दिन का पानी सुरक्षित है। यानी इस साल पानी कटौती का कोई संकट नहीं है।
झीलवार स्थिति
• भातसा झील (48% सप्लाई) – 94.18% भरी, 6,75,335 मिलियन लीटर पानी। पिछले 24 घंटे में 85 मिमी बारिश।
• अप्पर वैतरणा (16%) – 95.97% भरी, 2,17,886 मिलियन लीटर।
• मिडल वैतरणा (12%) – 98.22% भरी, 1,90,077 मिलियन लीटर।
• मोदक सागर (11%) – 100% क्षमता, 1,28,925 मिलियन लीटर। 9 जुलाई को ओवरफ्लो हुआ।
• तांसा (10%) – 99.18% भरी, 1,43,887 मिलियन लीटर। 23 जुलाई को ओवरफ्लो।
• तुलसी (2%) – 100% भरी, 8,046 मिलियन लीटर। 16 अगस्त को ओवरफ्लो।
• विहार (1%) – 100% भरी, 27,698 मिलियन लीटर।
इसके अलावा ठाणे व नवी मुंबई को पानी देने वाला बारवी डैम भी 98.63% क्षमता तक भर चुका है।
पानी की सप्लाई व्यवस्था
• पश्चिमी उपनगर (दहिसर से बांद्रा और माहिम से मालाबार हिल तक) को मोदक सागर, तांसा और वैतरणा झीलों से पानी मिलता है।
• पूर्वी उपनगर (मुलुंड से मझगांव तक) को भातसा, तुलसी और विहार से पानी मिलता है।
सभी झीलों के लगभग भर जाने से बीएमसी ने पानी कटौती की संभावना से इनकार किया है।
मौसम का हाल
सांताक्रूज वेधशाला में अधिकतम तापमान 30.4°C और न्यूनतम 26.3°C दर्ज हुआ है। वहीं,कोलाबा में तापमान 29.7°C अधिकतम और 25.8°C न्यूनतम रहा है। 23 अगस्त को सुबह 8 बजे तक 24 घंटों में शहर में 1.90 मिमी, पूर्वी उपनगरों में 4.52 मिमी और पश्चिमी उपनगरों में 1.94 मिमी बारिश दर्ज की गई है।
ज्वार-भाटा पर सतर्कता
26 अगस्त को दोपहर 12:48 बजे 4.53 मीटर ऊँचा ज्वार और शाम 6:52 बजे 0.96 मीटर का भाटा दर्ज होने की संभावना थी। बीएमसी ने निचले इलाकों के लोगों को हाई टाइड के समय सावधानी बरतने की सलाह दी है।
विशेषज्ञों की राय
झीलों में 362 दिन का पानी होने से मुंबई इस साल पानी संकट से सुरक्षित है। लेकिन बढ़ती आबादी और बदलते मौसम को देखते हुए लंबे समय की योजना बनाना जरूरी है। फिलहाल, मुंबईकर चैन की सांस ले सकते हैं, क्योंकि उनकी जीवनरेखा झीलें पूरी तरह पानी से लबालब हैं।