मुंबई जल संकट की हकीकत: क्या मानसून ही है आखिरी उम्मीद, या है कोई और रास्ता?

By: skymet team | Edited By: skymet team
Jun 19, 2025, 8:00 PM
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देश की आर्थिक राजधानी मुंबई जो एक द्वीप शहर भी है, आज जल संकट के मोड़ पर खड़ी है। बढ़ती आबादी और तेजी से होते शहरीकरण के कारण शहर की पानी की जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं। अभी तक मुंबई की जल आपूर्ति मानसून पर आधारित है, लेकिन मौसम के बदलाव और शहरी फैलाव इस सिस्टम पर दबाव बना रहे हैं।

मुंबई की जीवनरेखा: सात झीलों से जल आपूर्ति

मुंबई को पानी मुख्य रूप से सात झीलों से मिलता है। जो भातसा, अपर वैतरणा, मिडल वैतरणा, मोडक सागर, तांसा, विहार और तुलसी झीले हैं। ये झीलें ठाणे और नासिक जिलों में स्थित हैं और इनका पानी भांडुप जैसे विशाल वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचता है। हर साल मानसून से पहले यानी मई महीने में इन झीलों में पानी की मात्रा 20% से भी कम हो जाती है, जिससे पानी कटौती का डर पैदा हो जाता है। जुलाई में अच्छी बारिश झीलों को फिर भर देती है और शहर को राहत देती है।

Seven key reservoirs: Major water sources of Mumbai

Seven key reservoirs: Major water sources of Mumbai

भूजल – एक छिपा हुआ संसाधन

झीलों के अलावा मुंबई के नीचे भूजल (Groundwater) भी एक अहम जल स्रोत है। बोरवेल के जरिए इसका उपयोग होता रहा है, खासकर तब जब झीलों का पानी कम हो। लेकिन शहर में बहुत ज्यादा बोरिंग और बिना नियंत्रण के उपयोग के कारण कुछ इलाकों में भूजल खत्म हो गया है या फिर जलस्तर बहुत ही नीचे चला गया है।

वहीं, मुंबई शहर में कंक्रीट और सीमेंट की सतहें बढ़ने से बारिश का पानी जमीन में नहीं समाता, जिससे भूजल रिचार्ज नहीं हो पाता। हालाँकि, नगर निगम ने बारिश के पानी को जमीन में पहुंचाने के लिए कुछ उपाय जैसे रेन वॉटर हार्वेस्टिंग और रीचार्ज बोरवेल की शुरुआत की है, लेकिन इनकी सफलता सीमित है।

मानसून और रेनवॉटर हार्वेस्टिंग का मेल जरूरी

मानसून की बारिश केवल मौसम नहीं, मुंबई की जल संरचना का आधार है। जुलाई में अच्छी बारिश झीलों को भर देती है और साल भर पानी देने में मदद करती है। लेकिन अगर मानसून देर से आए या कमजोर हो, तो जल्दी पानी की किल्लत हो सकती है।

इसलिए, रेन वॉटर हार्वेस्टिंग (बारिश का पानी जमा करना) बेहद जरूरी है। आज नई इमारतों में यह अनिवार्य है, लेकिन पुरानी इमारतों में ये सिस्टम नहीं है। अगर हर बिल्डिंग अपनी छत का थोड़ा भी पानी जमा करे, तो पानी की कमी और जलभराव दोनों से निपटा जा सकता है।

पानी के लिए एक स्थायी रणनीति की जरूरत

मुंबई को जल संकट से बचाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने होंगे:

झील प्रबंधन बेहतर करें – मॉनिटरिंग सिस्टम सुधारा जाए, पानी की बर्बादी रोकी जाए और मानसून की भविष्यवाणी के आधार पर स्टोरेज प्रबंधन हो।

भूजल रिचार्ज बढ़ाएं – रिचार्ज बोरवेल लगाएं, खुले मैदानों में पानी सोखने की क्षमता बढ़ाएं।

•रेन वॉटर हार्वेस्टिंग को मजबूती दें – पुराने भवनों में भी इस सिस्टम को लगाना अनिवार्य किया जाए और इसके लिए इंसेंटिव मिले।

स्मार्ट पानी नीति लागू हो – पानी की कीमत उपयोग के अनुसार तय हो, लीक की पहचान की जाए और बेकार हो रहे पानी की रोकथाम हो।

लोगों की भागीदारी बढ़ाएं – लोगों को जागरूक किया जाए और समुदाय स्तर पर पानी संरक्षण के कार्यक्रम चलाए जाएं।

मुंबई का पानी अब सिर्फ झीलों या मानसून पर निर्भर नहीं रह सकता। भूजल और रेनवॉटर हार्वेस्टिंग को मजबूत करना अब मजबूरी नहीं, जरूरत है। विज्ञान, नीति और जनता की साझेदारी से ही मुंबई एक स्थायी और सुरक्षित जल भविष्य की ओर बढ़ सकती है।

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FAQ

डिस्क्लेमर: यह जानकारी स्काइमेट की पूर्वानुमान टीम द्वारा किए गए मौसम और जलवायु विश्लेषण पर आधारित है। हम वैज्ञानिक रूप से सही जानकारी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन बदलती वायुमंडलीय स्थितियों के कारण मौसम में बदलाव संभव है। यह केवल सूचना के लिए है, इसे पूरी तरह निश्चित भविष्यवाणी न मानें।

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