

इस वर्ष दक्षिण-पश्चिम मानसून में बड़ी अंतर्वर्षा विविधता देखने को मिली है। मानसून की समय से लगभग एक सप्ताह पहले दस्तक हुई, लेकिन उसके बाद दोनों शाखाओं में तेज़ी से ठहराव आ गया। हालांकि इस ठहराव के बाद मानसूनी धाराएं तेज़ गति से आगे बढ़ीं और एक बार फिर पश्चिम और उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में समय से पहले पहुंच गईं। पिछले 2-3 दिनों से मानसून की धारा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आसपास मंडरा रही है, जिससे रिकॉर्ड समय से पहले मानसून आने की उम्मीदें जगीं। लेकिन पारंपरिक मानसून आगमन का पैटर्न नहीं दिख रहा और पिछले कुछ दिनों से यह लक्ष्य लगातार थोड़ा-थोड़ा खिसक रहा है। इसी बीच संभावना बन रही है कि मानसून राजस्थान के अंतिम क्षेत्रों तक भी सामान्य से पहले पहुंच जाए।
मानसून आगमन की तारीखों में 2019 में हुआ था बदलाव
2019 में मानसून आगमन की तिथियों में संशोधन किया गया था। उससे पहले पश्चिमी राजस्थान के सबसे दूरस्थ क्षेत्रों जैसे बाड़मेर, जैसलमेर और फलोदी तक मानसून के पहुंचने की सामान्य तिथि 15 जुलाई मानी जाती थी। संशोधन के बाद अब पूरे भारत में मानसून के पहुंचने की नई तिथि 8 जुलाई तय की गई। हालांकि, अपने स्वभाव के अनुसार मानसून अक्सर इन निर्धारित तिथियों का पालन नहीं करता और अनेक बार बिना स्पष्ट कारण के इसमें देरी या तेजी देखी जाती है। इस बार भी कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है।
बंगाल की खाड़ी से आए सिस्टम से मिल रही मानसून को ताकत
बंगाल की खाड़ी से उठे निम्न दबाव क्षेत्र का असर अब दक्षिण उत्तर प्रदेश के ऊपर चक्रवाती परिसंचरण के रूप में दिख रहा है। इसके अलावा एक और चक्रवाती परिसंचरण अब पश्चिम-मध्य और उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में, दक्षिण ओडिशा और उत्तर तटीय आंध्र प्रदेश के पास बना हुआ है। इन दोनों प्रणालियों को जोड़ने वाली पूर्व-पश्चिम दिशा की ट्रफ रेखा अब और पश्चिम की ओर बढ़ गई है, जो मध्य और पश्चिम राजस्थान तक फैली हुई है। इस लंबी ट्रफ के कारण इसके आसपास छोटे-छोटे मौसम तंत्र (circulations) बनने की संभावना है, विशेषकर 26 और 27 जून को मध्य और पश्चिम राजस्थान में। संयोगवश, उत्तरी पाकिस्तान और उसके नज़दीकी पंजाब व जम्मू क्षेत्रों में एक पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) भी ऊपरी वायुमंडल में सक्रिय होने वाला है, जिससे इन सभी प्रणालियों को अतिरिक्त ऊर्जा और सहयोग मिलेगा।
अगले 48 घंटों में मानसून इन राज्यों को करेगा कवर
दक्षिण-पश्चिम मानसून अगले 48 घंटों में राजस्थान और पंजाब के कुछ और हिस्सों, हरियाणा, दिल्ली, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शेष हिस्सों, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को कवर कर सकता है। इसके बाद केवल पश्चिम हरियाणा, दक्षिण पंजाब और राजस्थान के अति-पश्चिमी हिस्सों में ही मानसून पहुंचना बाकी रहेगा।
यह भी पढ़ें: दक्षिण प्रायद्वीप में मानसून कमजोर, बारिश की भरपाई अब मुश्किल, विदर्भ, मराठवाड़ा और तेलंगाना सबसे अधिक प्रभावित
जून में ही पूरे भारत में पहुंच सकता है मानसून
मौसम से जुड़ी कई प्रणालियाँ जब एक साथ सक्रिय होती हैं और तालमेल में काम करती हैं, तो मानसून की गति तेज हो जाती है। इस बार भी ऐसा ही दिख रहा है, जिससे संभावना बन रही है कि मानसून जून महीने में ही पूरे भारतवर्ष में फैल जाएगा। यह एक बड़ी और असामान्य उपलब्धि हो सकती है, क्योंकि सामान्यतः ऐसा जुलाई के दूसरे सप्ताह तक होता है।