

पिछले कुछ दिनों से देश के बड़े हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मानसून कमजोर हो गया है। ‘ब्रेक-इन-मॉनसून’ की स्थिति ने उन इलाकों में भी बारिश कम कर दी है, जहां इस समय इसकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। उत्तरी, पश्चिमी, मध्य और कुछ दक्षिणी हिस्सों में सामान्य मानसून गतिविधि फिलहाल ठप है। हालांकि, यह मौसम की स्वाभाविक प्रक्रिया है और चिंता की बात तभी बनती है जब यह दौर लंबा खिंच जाए। फिलहाल ऐसा होने की संभावना नहीं है।
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अगले हफ्ते बंगाल की खाड़ी में नया सिस्टम बनेगा
इस स्थिति को तोड़ने के लिए अगले हफ्ते की पहली छमाही में बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। इससे पहले 12 अगस्त को एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने के आसार हैं, जो 13 अगस्त तक उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में मजबूत होगा। 14 अगस्त को यह कम दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो सकता है। मौसमी परिस्थितियां और समय इसे समुद्र में और भी ताकतवर बनने का मौका दे सकते हैं, संभव है कि यह अवदाब (डिप्रेशन) में बदलकर आगे बढ़े।
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पूर्वी भारत में पहले बढ़ेगी बारिश, फिर देशभर में फैलाव
इस सिस्टम के बनने के दौरान ही पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बारिश की गतिविधियां बढ़ने लगेंगी। मॉनसून ट्रफ से जुड़ने के बाद इसका असर और विस्तार होगा, जिससे छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कोंकण व गोवा में जोरदार मानसून बारिश लौटेगी।
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राजस्थान-गुजरात तक पहुंचेगा तेज बारिश का दौर
तीसरे हफ्ते में यह बरसात का तेज दौर राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों तक पहुंचेगा। हालांकि, 5 दिन से ज्यादा के बाद मौसम पूर्वानुमान की सटीकता घट जाती है, इसलिए इसे अगले हफ्ते की शुरुआत में फिर से अपडेट किया जाएगा।